हौं आया दूरों चल के.... वैसाखी का इतिहास, पांवटा साहिब की यात्रा
सन् 1685 का समय
एक 20 वर्षीय नौजवान अपने घोड़े पर सवार हिमाचल की वादियों में अपने कुछ विश्वसनीय
सहयोगियों के साथ घूम रहा है। हर तरफ प्रकृति के सुंदर नजारे हैं, घना जंगल है,
मीलों दूर तक कहीं कोई आबादी नही। सिरमौर से चला साथिओं का यह समूह घूमते घूमते उसकी सीमाओं
तक निकल आया, जिधर यमुना नदी बह रही है।