बॉयोस्कोप के झरोखे से प्रयास है, छोटे बच्चों के लिए मजेदार कहानियों को लिखने का जो मैंने अपने बचपन में सुनी। इनमे से अधिकतर कहानियों को सुनाने का श्रेय मेरे स्वर्गवासी पिताजी को जाता है, जो अपने आप में ज्ञान का चलता फिरता विश्वकोश थे। हालाँकि सम्भव है कि इनमे से अनेक कहानियाँ आपने भी पहले सुनी हों अथवा कहीं पढ़ी हों। इसका एकमात्र कारण यही है कि वो इन कहानियों के रचयिता नही थे, उन्होंने भी अपने जीवन काल में जो कहानी कहीं पढ़ी या सुनी, उसे फिर हम बच्चों को सुनाई ! उनकी स्मृति को नमन करते हुए पेश है उस संकलन के पिटारे में से इस श्रृंखला की पहली कहानी का दूसरा और अंतिम भाग -
Monday, 18 January 2016
एक चिड़िया आई 2
बॉयोस्कोप के झरोखे से प्रयास है, छोटे बच्चों के लिए मजेदार कहानियों को लिखने का जो मैंने अपने बचपन में सुनी। इनमे से अधिकतर कहानियों को सुनाने का श्रेय मेरे स्वर्गवासी पिताजी को जाता है, जो अपने आप में ज्ञान का चलता फिरता विश्वकोश थे। हालाँकि सम्भव है कि इनमे से अनेक कहानियाँ आपने भी पहले सुनी हों अथवा कहीं पढ़ी हों। इसका एकमात्र कारण यही है कि वो इन कहानियों के रचयिता नही थे, उन्होंने भी अपने जीवन काल में जो कहानी कहीं पढ़ी या सुनी, उसे फिर हम बच्चों को सुनाई ! उनकी स्मृति को नमन करते हुए पेश है उस संकलन के पिटारे में से इस श्रृंखला की पहली कहानी का दूसरा और अंतिम भाग -
एक चिड़िया आई 1
बॉयोस्कोप के झरोखे से प्रयास है, छोटे बच्चों के लिए मजेदार कहानियों को लिखने का जो मैंने अपने बचपन में सुनी। इनमे से अधिकतर कहानियों को सुनाने का श्रेय मेरे स्वर्गवासी पिताजी को जाता है, जो अपने आप में ज्ञान का चलता फिरता विश्वकोश थे। हालाँकि सम्भव है कि इनमे से अनेक कहानियाँ आपने भी पहले सुनी हों या कहीं पढ़ी हों। इसका एकमात्र कारण यही है कि वो इन कहानियों के रचयिता नही थे, उन्होंने भी अपने जीवन काल में जो कहानी कहीं पढ़ी या सुनी, उसे फिर हम बच्चों को सुनाई ! उनकी स्मृति को नमन करते हुए पेश है उस संकलन के पिटारे में से इस श्रृंखला की पहली कहानी का पहला भाग -
Sunday, 17 January 2016
जनूँ मेरा या राह की दीवार !!!
यह घटना भी देहरादून में ही घटित हुई। देहरादून से कोई 7-8 किमी दूर प्रेमनगर में!
जैसा कि मैं पहले एक घटना में बता चुका हूँ कि उस क्षेत्र में द्वितीय विश्वयुद्ध के समय युद्धबंदियों को रखने के लिए बैरकेँ बनाई गई थी, जिन्हें बाद में विभाजन के समय आये शरणार्थीयों को अलाट कर दिया गया।
Saturday, 16 January 2016
साहिब-ए-कमाल : गुरु गोबिंद सिंह
वाह परगटियो मरद अंगमड़ा वरियाम अकेला
वाहो वाहो गोबिंद सिंह आपे गुर चेला !!!
~ भाई गुरदास(दूजा)
अंग्रेजी कलैंडर के अनुसार 1666 का बरस, सुबह का समाँ, पीर भीखण शाह, जाने किस प्रेरणा के तहत पश्चिम की जगह आज पूरब दिशा की तरफ मुँह कर, अपनी बन्दगी अता कर रहे थे कि उन्हें एक दिव्य(इलाही) रौशनी का आभास हुआ जो आसमाँ से उतर, बिहार की तरफ पटना शहर में समा गई।
Thursday, 14 January 2016
40 मुक्ते (40 Immortals, 40 mukte, 40 ਚਾਲੀ ਮੁਕਤੇ) और माघी
दुनिया के किसी भी हिस्से में जब कोई भी गुरु नानक नाम लेवा सिख
अरदास करता है, उस अरदास में एक शब्द आता है,
" चाली
मुक्ते ", चाली अर्थात चालीस (40) और मुक्ते, बहुवचन है मुक्त का ! मुक्त संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है liberation यानि जन्म मरण के फेर से
आजाद होकर मोक्ष की प्राप्ति (Emancipation!)
Wednesday, 13 January 2016
लोहड़ी (Lohri)
सुबह सवेरे उठ कर जैसे ही बालकनी में आया गली में दूर किसी घर के आगे
खड़े बच्चों की टोली को “सुंदर मुन्द्रियो हो....” गाते सुन कर लोहड़ी माँगते देखा !
ओह ! एक क्षण में ही अपना बचपन आँखों के आगे कौंध गया ! जैसे ही वो बच्चे उस घर से
फारिग हुए मैंने आवाज देकर और साथ ही हाथ के इशारे से अपनी तरफ बुला लिया ! पहले
तो बच्चे घबराए, सकुचाये... आजकल कौन खुद बुलाता है ? पर जब देखा कि बार बार इसरार
कर रहा हूँ तो शुरुआत में पहले सहज ही कुछ शरमाते और आखिरकार फिर हिम्मत बटोर कर
मेरे घर के दरवाजे तक आ ही गये !
Sunday, 3 January 2016
तू जहाँ जहाँ रहेगा.... भाग 7 समापन क़िस्त ~~ by a s pahwa
भाग 7
समापन अंक
तू जहाँ जहाँ रहेगा.... भाग 1
तू जहाँ जहाँ रहेगा.... भाग 2
तू जहाँ जहाँ रहेगा.... भाग 3
तू जहाँ जहाँ रहेगा.... भाग 4
तू जहाँ जहाँ रहेगा.... भाग 5
तू जहाँ जहाँ रहेगा.... भाग 6
तू जहाँ जहाँ रहेगा.... भाग 1
तू जहाँ जहाँ रहेगा.... भाग 2
तू जहाँ जहाँ रहेगा.... भाग 3
तू जहाँ जहाँ रहेगा.... भाग 4
तू जहाँ जहाँ रहेगा.... भाग 5
तू जहाँ जहाँ रहेगा.... भाग 6
हजरत साबिर पाक़ का नाम सभी धर्मो
के मानने वालों के दिलों में अपना एक ख़ास मुकाम रखता है | अजमेर के ख्वाजा की दरगाह के बाद, यह दूसरा ऐसा स्थान है, यहाँ सबसे ज्यादा दर्शनार्थी आते
हैं |
साबिर पाक, बाबा फरीद के भांजे भी थे और
शागिर्द भी | वैसे तो
उनके जलाल के बारे में अनेको-अनेक किस्से-कहानियाँ सुनाने वाले मिल
Saturday, 2 January 2016
तू जहाँ जहाँ रहेगा.... भाग 6 ~~ by a s pahwa
भाग 6
पूर्व प्रकाशित अंक
तू जहाँ जहाँ रहेगा.... भाग 1
तू जहाँ जहाँ रहेगा.... भाग 2
तू जहाँ जहाँ रहेगा.... भाग 3
तू जहाँ जहाँ रहेगा.... भाग 4
तू जहाँ जहाँ रहेगा.... भाग 5
और फिर जैसा कि अपेक्षित
था हाज़ी साहब के साथ उस पहली मुलाकात के बाद लगभग एक मास के अंतराल में राधिका और
उनके बीच पांच से छह साक्षात्कार और हुए थे | यूँ तो राधिका अब पूरी तरह से ठीक थी
और किशन के साथ उसका ग्रहस्थ जीवन भी भली भांति शुरू हो चुका था | परन्तु जैसा कि
प्रारम्भ में ही नियत हुआ था, एक अंतिम हाजिरी साबिर साहिब की दरगाह में भरनी
अत्यंतावश्यक थी, जिससे इस समस्या को इसके मूल से ही निपटाया जा सके !
Subscribe to:
Posts (Atom)